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दवाइयो का छिड़काव के बाद भी कीट एवं बीमारियों से धान की फसलों में नहीं आया सुधार

गुरुर : धान के कटोरे में बंपर उत्पादन की उम्मीद पाले किसानों के चेहरे पर अब चिंता की लकीरें खींचने लगी है। धान की फसल में तनाछेदक, गलका, कटवा जैसे अन्य रोग ने किसानो की परेशानियों को बढ़ा दिया है। मौसम खराबी के चलते पत्तीमोड़क, मकड़ी में धान के बाल खराब हो रहे हैं।

गुरुर सहित ग्राम धानापुरी, चूल्हापथरा, गोटाटोला, कंकालीन, ठेकवाडीह, मुजगहन, खर्रा, धनेली, कंवर, खैरडिगी, सोनाईडोंगरी, अर्जुनी, सोरर, पेंवरो, डांडेसरा जैसे अन्य गांव के किसानों का कहना है कि हरुणा किस्मा के धान की पौधों में अब बालियां भी आनी शुरू हो गई हैं जिसके बाद अब फसलो मे माहु का भी प्रकोप बढ़ने लगा है। धान की फसलों को बचाने के लिए किसानों द्वारा मंहगे खाद एवं दवाइयो का छिड़काव किया जा रहा है इसके बाद भी फसलों में कीट व बिमारी बढ़ने लगा है।

दवाइयो के छिड़काव से बढ़ा उत्पादन लागत

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक मौसम में हर रोज हो रहे बदलाव की वजह से भी धान की फसल पर प्रभाव पड़ रहा है। गर्मी के मौसम के शुरुआती दिनों में हुई बारिश से जहां धान की फसल को फायदा हुआ। बारिश और आसमान में बादल के छाए होने के कारण धान की फसल पर तनाछेदक, गलका व खैरारोग का प्रकोप बढ़ रहा है।

रोग की रोकथाम के लिए किसानों द्वारा किए जा रहे प्रयास भी नाकाफी साबित हो रहे हैं, जिससे वे परेशान नजर आ रहे हैं। बार-बार दवाओं के छिड़काव के कारण अधिक राशि खर्च होती है, जिससे उत्पादन लागत बढ़ जाता है।

इस बार रोग लगने से धान की फसल अभी से खराब होने की कगार पर पहुंच गई है। धान की फसल पीली पड़ने के साथ ही पौधा बौना हो रहा है जिसमें बालियां आने की संभावना नहीं के बराबर है। अगर ऐसा हुआ तो क्षेत्र में धान का उत्पादन काफी कम होगा।

बालियाँ आने के बाद बढ़ा माहु का प्रकोप

क्षेत्र के किसान शंकर लाल, नरेन्द्र कुमार, चेमन लाल, गिरधर, गौतम, धनेश कुमार, नंदकुमार ने बताया कि उनके खेत में धान की फसल अच्छी थी परंतु कीड़ों के प्रकोप से वे काफी परेशान हैं, उन्होंने बाजार से दवाइयां लाकर धान की फसलों पर छिड़काव किया, बावजूद कोई सुधार नहीं आया।

फसलो मे बालियाँ आने के बाद माहो का प्रकोप होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। दवा का छिड़काव करने के बाद भी कीट की रोकथाम नहीं हो पा रही है। धान की फसल तेजी के साथ तैयार हो रही फसल में कीट व्याधियां कम होने का नाम नहीं ले रही। कई जगह कीटनाशकों का भी असर नहीं हो रहा।

कृषि केन्द्रो में दवाइयो की माँग

कीट एवं बीमारियों के प्रकोप से बचाने के लिए क्षेत्र के किसान कृषि केन्द्रो में रोज दवा खरीदने दुकान पहुंच रहे हैं, जँहा ट्राइजोफास, मैन्काजेब, मालथियान सहित अन्य दवा की मांग ज्यादा है।

 

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