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रास गरबा महोत्सव में भाजयुमो के जिलाध्यक्ष श्री पीपरे ने कहा :- सनातन संस्कृति का विराट रूप देखने को मिल रहा है

गुरूर/बालोद –। गुरुर में आयोजित गरबा महोत्सव में भाजयुमो जिला बालोद के अध्यक्ष एवं जनपद पंचायत गुरुर के सदस्य आदित्य पीपरे मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।

गरबा महोत्सव के दौरान संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष आदित्य पीपरे ने कहा कि यह रास गरबा महोत्सव हमें प्रेरित करते हैं कि हमारा परिवेश बहुत सकारात्मक और सनातनी है, सनातन संस्कृति का विराट रूप यहां देखने मिल रहा है।

मंच से उन्होंने कहा कि मैं क्षेत्रवासियों के श्री चरणों को प्रणाम करना चाहूंगा, जिन्होंने अपने बच्चों को बहुत अच्छा संस्कार दिया है। आजकल कई युवा अपने लक्ष्य दिशा को भूलकर गलत रास्ते पर जाने लगे है लेकिन यहां अभिभावकों द्वारा दिए गए मान, सम्मान संस्कार, घर का वातावरण स्पष्ट तौर पर नजर आ रहा है।

हर संभव मदद करने तैयार

जिलाध्यक्ष आदित्य पीपरे ने कहा कि मां दुर्गा भवानी की आराधना में मैं जब एक जनप्रतिनिधि के तौर पर देखता हूं तो माता बहनें बेटियां गरबा करने आती हैं, माता रानी को समर्पित भाव से मन को सब प्रसन्न करती है तो लगता है कि तो यहां पर पूरा सनातन का विराट स्वरूप दिखाई देता है। मैं इस भव्य आयोजन के लिए सभी को बधाई देता हूं। नौजवान मित्रों को बधाई देता हूं कि आपने इतना प्यारा आयोजन किया है, ऐसे लगातार आयोजन ऊंचाइयां प्राप्त करें। आप सभी अपने जीवन में ऊंचाइयों को प्राप्त करें। मां भगवती आपको उन स्थानों तक पहुंचाएं जहां आप जाना चाहते हैं। सबको अच्छे आयोजन की बधाई और ऐसे आयोजन तथा किसी भी प्रकार से समस्या होने पर मैं हमेशा साथ रहूंगा।

बता दे कि जिस तरह रास गरबा महोत्सव में प्रतिदिन अलग-अलग थीम पर कार्यक्रम आयोजित की जा रही है उसी प्रकार अलग-अलग दिन भी अतिथियों को मंच पर बुलाया जा रहा है। गरबा को लेकर लोगों में खास उत्साह देखने को मिल रहा। बड़ी संख्या में लोग इसमें प्रतिभागी के तौर पर शामिल तो हो रहे हैं तो देखने वालों की संख्या भी हजारों में है।

अलग-अलग वर्ग के लोग नवरात्रि पर कोलिहामार के मैदान में गरबा नृत्य करने के लिए पहुंचते हैं। पारंपरिक ड्रेस में तैयार होकर महिलाएं और युवतियां गरबा करती हैं। बड़ी संख्या में लोगों का एक साथ गरबा करना बेहद मनमोहक लग रहा है।

 मां अंबे के गरबे में बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलता है

आयोजन समिति के अध्यक्ष हिमांशु साहू ने कहा कि गरबा में समाज के सभी लोग शामिल होते है। मां अंबे की आराधना कर गरबे की शुरुआत होती है। मां अंबे के साथ बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलता है। गरबा में जीवन चक्र और शक्ति को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि गरबा नृत्य मां की लोकप्रिय गीतों पर किया जाता है। वहीं डांडिया को देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच हुई लड़ाई का प्रतीक माना जाता है। डांडिया में इस्तेमाल की जाने वाली छड़ी को मां दुर्गा की तलवार कहते हैं, जो बुराई के विनाशक का प्रतीक है।

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